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विषय वास्तु

TAJA RACHNAYEN

Tuesday, April 10, 2012

गज़ल (5)






गज़ल (5)



गम जुदाई का तो हंसकर सह गए 
सामने आये तो आंसू बह गए 

राजेगम दिल में रखेंगे सोचा था 
अश्क आँखों के मगर सब कह गए 


 देखकर पहचानने की कोशिशें 
उनके दिल की बात हमसे कह गए 

मुद्दतों से इंतजार उनका किया 
क्यों किया खुद सोचते ही रह गए 

ख्वाब देखे थे बहुत तन्हाई में
मिट्टी के घर की तरह सब ढेह गए 


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