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वीरेश अरोड़ा "वीर"
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TAJA RACHNAYEN
Sunday, July 22, 2012
प्यास - हाइकु
प्यास जो टूटी
कुछ कर जाने की
जीना बेकार
प्यास थी जब
जिन्दा था
,
हुआ तृप्त
मृत घोषित
!
प्यास से आस
देश के विकास की
कभी ना टूटे
!
मैं भी नहा लूँ
मैलापन मिटा लूं
गंगा की प्यास
!
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