ग़ज़ल (2)
जब दोस्तों के दिल मे ज्यादा छल नज़र आने लगा
तब दुश्मनो के दल मे जयादा बल नज़र आने लगा I
देख कर बिगड़ी हुई हालत हमारे देश की
आज मुझको आने वाला कल नज़र आने लगा I
जैसे तैसे अब तलक तो
खैंच ली ये जिन्दगी
हो सकेगा अब गुजर मुस्किल नज़र आने लगा I
बन रही बिल्डिंग कई फिर बन रहा है एक शहर
फिर मुझे कटता हुआ जंगल नज़र आने लगा I
प्यार से रहने की उसने बात की जब भी अगर
आज के लोगो को वो पागल नज़र आने लगा I
बन रही बिल्डिंग कई फिर बन रहा है एक शहर
फिर मुझे कटता हुआ जंगल नज़र आने लगा I
प्यार से रहने की उसने बात की जब भी अगर
आज के लोगो को वो पागल नज़र आने लगा I