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विषय वास्तु

TAJA RACHNAYEN

Saturday, April 07, 2012

ग़ज़ल (2)

ग़ज़ल  (2)


जब दोस्तों के दिल मे ज्यादा छल नज़र आने लगा
तब दुश्मनो के दल मे जयादा बल नज़र आने लगा I

देख कर बिगड़ी हुई हालत हमारे देश की
आज मुझको आने वाला कल नज़र आने लगा I

जैसे तैसे अब तलक तो  खैंच  ली ये जिन्दगी
हो सकेगा अब गुजर मुस्किल नज़र आने लगा I

बन रही बिल्डिंग कई फिर बन रहा है एक शहर
फिर मुझे कटता हुआ जंगल नज़र आने लगा I


प्यार से रहने की उसने बात की जब भी अगर
आज के लोगो को वो पागल नज़र आने लगा I









राज की बात

 

राज की बात





राम राज की आशा मे, बैठे है जो नादान है वो,
हालत का वतन का ज्ञान नहीं, अज्ञानी है, अंजान है वो I 

मुखिया को अपने दल के जो अब राम बताया करते है,
उस दल का चमचा अपने को, कहता है कि हनुमान है वो I 

क्या उलझन वो सुलझाएंगे इस देश में रहने वालों की,
गैरों से नहीं जो लगता है, खुद अपने से परेशान है वो I 

वो मालिक भी बन सकते है इतिहास बताता है हमको,
जो कहते थे कुछ दिन के लिए इस देश के मेहमान है वो I 

बिन बारिश के जब खेतो मे अंकुरित बीज नहीं होते,
वो मरुभूमि के खेत नहीं, लगता है के शमशान है वो I 







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