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विषय वास्तु

TAJA RACHNAYEN

Saturday, March 30, 2013

- मुझे -










साथ में बीते दिनों की याद आती है मुझे 
याद की खुशबू पहाड़ों से बुलाती है मुझे


सो नही पाया संकू से मैं तेरे जाने के बाद 
ख्वाब में आकर रोजाना क्यूं जगाती है मुझे

ढेरों क़समें खाई थी मैनें निभा दी वो सभी 
अपने वादे न निभाकर वो सताती है मुझे

मैं खूबियाँ ही खूबियाँ उसकी बयां करता रहा 
खामियाँ ही खामियाँ मेरी गिनाती है मुझे


अपनी पलकों पर सजा कर मैंने रख्खा है जिसे
मुझको नजरों से मेरी ही वो गिराती है मुझे


साथ में उसके किसी को देख मैँ सकता नही 
साथ में आकर किसी के वो जलाती है मुझे

                            
                              -- वीरेश अरोड़ा "वीर"






Thursday, March 21, 2013

" वो "








" वो "


बदले हालातो में ढल गया है वो 
सचमुच कितना बदल गया है वो 


जब तक साथ था मेरे ठीक था 
अब हाथ से निकाल गया है वो 


छाछ को भी फूँक कर पीने लगा 
किस हद तक संभल गया है वो 


उससे बिछड़े अरसा हुआ लकिन
लगता है जैसे कल गया है वो 


सजा-ए-मौत भी शायद ही धो पाए 
मुँह पर कालिख जो मल गया है वो  


आज होना तय था जो हादसा 
उनके आ जाने से टल गया है वो 




                            - वीरेश अरोड़ा "वीर"






Wednesday, March 13, 2013

होली का त्यौहार




होली का त्यौहार है आया
रंगों की बाहर है लाया
डालें कच्चा पक्का रंग
सभी खेल रहे है संग
नाचे गाये धूम मचाये
मिलकर ढोलक चंग बजाये
लेकर रंग रंगीले आया
होली का त्यौहार है आया

राम रहीम बने हमजोली
डालें रंग बनाकर टोली
कोई धर्म हो कोई जाति
सभी बने है संगी-साथी
गले लगे सब लगा गुलाल
दिल में ना अब कोई मलाल
भेदभाव मिटाने आया
होली का त्यौहार है आया

-- वीरेश अरोड़ा "वीर"



Monday, March 11, 2013

"चंपक वन में होली है"








चंपकवन में होली है

खेल रहे हमजोली है 

चूहा डाले बिल्ली पे रंग 

लोमड खेले शेर के संग

बंदर ने मारी किलकारी 

चीकू ले आया पिचकारी 

भालू बजा रहा है चंग

हाथी नाचे मस्त मलंग 

गीदड़ बना अब ढोली है 

चंपक वन में होली है 


                       -- वीरेश अरोड़ा "वीर"




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