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विषय वास्तु

TAJA RACHNAYEN

Sunday, December 23, 2012

" समझ रहा हूँ "


" समझ रहा हूँ "

देश के हालात समझ रहा हूँ 
है गहराई की बात समझ रहा हूँ

बहुत कुछ पाया है यारों से 
क्या होती है घात समझ रहा हूँ

सुख के दिन कब के  बीत गए 
क्या होती है रात समझ रहा हूँ

चोट के घाव तो  सब देख रहें है 
क्या होते आघात समझ रहा हूँ

चोट देकर मरहम लगाने लगे है    
क्या होती खैरात समझ रहा हूँ

दुश्मनों की पहचान तो है
यारों की औकात समझ रहा हूँ

चोट मुझे लगी दर्द  हुआ उसे 
क्या होते जज्बात समझ रहा हूँ

                     --वीरेश अरोड़ा "वीर"



Monday, October 15, 2012

-:::: देश की बात ::::--


-:::: देश की बात ::::--

बात बहुत पुरानी है,
सबकी जानी-मानी है
नेता जी के गाँव का दौरा
शीघ्र चुनाव निशानी है
.
जो देते है ऊँचें भाषण
प्रलोभन और  झूठे  आश्वासन
काम यदि वें कुछ कर जाएं
तब होती हैरानी है.

हाथ जोड़कर वोट मांगतें
और गधे को बाप मानते
सत्ता हाथ में आ जाने पर
करते वो मनमानी है.

जब मिलते है यार पुराने (सभा गृह में)
चाहे बीती सबकी जाने
कहते सुनते दिल न भरता
बात करें बचकानी है.

रहते है जब तक साथ में
चलते हैं  दे हाथ हाथ में
स्वार्थ के पूरे हो जाने पर
कर जाते बेईमानी है.

जाने कैसी मजबूरी है
जाने कैसा नाता है ये,
उनको ही कहना है सब कुछ
जिनसे बात छिपानी है.

जो नेता है भ्रष्टाचारी
उनको सीख  सिखानी  है
और भ्रष्टाचार मिटाने को अब
हर देशवासी ने ठानी है.

हर नेता को याद दिला दूं
गर मुमकिन हो मैं समझा दूं
भारत माँ के  बेटे हम सब
सच्चे हिन्दुस्तानी है…

                                        -- वीरेश  अरोड़ा "वीर"


Saturday, October 06, 2012

-::: सोलह आना सच :::-





मैंने जो कुछ जाना है
सबको आज बताना है
दुःख बाटे आधा हो जाता 
अपने दुःख हलका कर लो 
सुख बाटे दूना हो जाता 
जीवन को सुख से भर लो,
सुख दुःख बाटो प्यार करो सब,
सुख दुःख सब पर आना है,
मिलकर हमें बिताना है 

सुख दुःख सच्चे साथी है
दीप है सुख दुःख बाती है 
कौन जगत में ऐसा है 
जिसने दुःख न देखा है 
इसीलिए मैं कहता हूँ 
सोचो हर अच्छा कल हो 
रह तैयार बुरे पल को 
जाने कल क्या आना है 
कल को किसने जाना है.

झूठ   बोलकर काम  किया
कम तोला दूना दाम लिया
रिश्वत लेकर नोट कमाए 
सोना चांदी घर पर लाए,
धन को पाकर क्या पाएगा 
क्या लेकर आखिर जाएगा 
खाली हाथ ही आए थे हम 
खाली हाथ ही जाना है 
यह सच सोलह आना है....
यह सच सोलह आना है....

Wednesday, August 15, 2012

-:::: भारत माँ के बेटों ::::-





-:::: भारत माँ के बेटों ::::- 



हे भारत माँ के बेटों भारत माँ की संतानों, 
जो है देश की आन बचानी, तो दो तुम कुछ बलिदानी ! 



रिश्वत खोरी को छोडो, मत घूस से नाता जोड़ो 
और भ्रष्टाचार के पथ से, अपना नाता तुम तोड़ो, 
अब जग में भारत माँ की, हमको है शान बढ़ानी 
जो है देश की आन बचानी......... 



जहाँ हरिश्चंद्र ने अपने सच का डंका था बजाया 
उस देश में जानो कैसे फिर झूठ ने राज जमाया 
आओ मिलकर दफना दें, इस झूठ की दें कुर्बानी 
                                      जो है देश की आन बचानी......... 



कहीं जाती धरम के झगडे, कहीं ऊंच नीच की बातें 
कुछ ऐसा हम कर पाते, मिलकर के सभी रह पाते 
हर प्रान्त का रहने वाला, पहले है हिन्दुस्तानी 
                                 जो है देश की आन बचानी.... 

                                            हे भारत माँ के ......



Friday, July 27, 2012

रिश्ता/सम्बंध" पर मेरे कुछ हाइकु








थे शर्तो पर

कब तक रहते

रिश्ते हमारे



रेशमी धागे

संबंधों के उलझे

गांठ का डर



अहं की गर्मी

रिश्तो का वटवृक्ष

ठूंठ हो गया



बंधक रिश्ते

शर्तो की बेडियो में

चलते कैसे



रिश्तों का घर

अहम् की दीमक

रिसते रिश्ते



छिप ना पाई

संबंधों की खटास

जग हँसाई





Sunday, July 22, 2012

प्यास - हाइकु







प्यास जो टूटी
कुछ कर जाने की
जीना बेकार

प्यास थी जब
जिन्दा था, हुआ तृप्त
मृत घोषित !

प्यास से आस
देश के विकास की
कभी ना टूटे !

मैं भी नहा लूँ
मैलापन मिटा लूं
गंगा की प्यास !

Saturday, July 07, 2012

सावन - 2 हाइकु






सावन आया 

मेघा कहाँ हो तुम

आ भी जाओ ना 


2

कटते वन

ना मेघ ना घटाएँ 

रूठा सावन 











Thursday, July 05, 2012

बंधे रिश्ते-हाइकु




रिश्ते जो बंधे
शर्तों की बेड़ियों में 
चलते कैसे 










जग हँसाई-हाइकु















छिप ना पायी
संबंधो की खटास
जग हँसाई







घन बरसे -हाइकु




घन बरसे 
माटी की महक से 
मन हरसे 


Wednesday, June 06, 2012

फल की चाह




हाइकु

फल की चाह
डाली झुकाई खूब 
टूटनी ही थी





रिश्ते हमारे





हाइकु

थे शर्तो पर
कब तक रहते
रिश्ते हमारे 

झूठा गुरूर




हाइकु

झूठा गुरूर
संबंधों  में दरार
किसे  स्वीकार  !


माँ की दुविधा




हाइकु

बेटो में बटी
चीजें सभी घर की
माँ की दुविधा





Tuesday, June 05, 2012

कोमल रिश्ते





हाइकु

कोमल  रिश्ते 
अहम की दीमक
कुछ ना बचा



अहं की गर्मी




हाइकु

अहं की गर्मी
रिश्तो का वट वृक्ष
ठूंठ हो गया








Sunday, June 03, 2012

समय की मांग




समय की मांग




(पहले की सोच)

गर कुछ कहना होगा मुझको 

मैं बस सच  ही कह पाउँगा

गर मुझको कुछ सुनना होगा

मैं सच को ही सह पाउँगा

गर सच मैं ना कह पाया तो

मैं बस चुप ही रह जाऊंगा

झूठ समय की मांग अगर है

मांग ना पूरी कर पाउँगा 


(आज की सोच )


गर सच कहना होगा मुझको

मैं सच सच ना कह पाउँगा

गर सच सुनना होगा मुझको

मैं सच को ना सह पाउँगा

जो चाहो मैं कुछ ना बोलूं

तो चुप भी ना रह पाउँगा

झूठ समय की मांग "वीर" है

झूठ दनादन कह जाऊंगा 




                 

Thursday, May 24, 2012

गीत - मेरा देश महान

गीत - मेरा देश महान


देश है मेरा महान
इसकी न्यारी अपनी शान,
ये है हिंदुस्तान, ये है हिंदुस्तान .....
कोई भारत कह रहा
कोई कहता इंडिया,
सब है इसके नाम
ये है हिंदुस्तान.....ये है हिंदुस्तान....

रह रहे मिलकर सभी,
जाती धरम हो जो कोई
प्यार है सबके दिलो में,
भेद न करता कोई,
मिलके रहते मिलके करते, जो भी करना हमको काम
 ये है हिंदुस्तान......ये है हिंदुस्तान....

पूजा कर ली मंदिरों में
प्रार्थना गिरजे में की,
गुरूद्वारे की गुरुबानी को
सुनने जाते है सभी,
मस्जिदों में करने सजदा, सुनके जाते है अजान
ये है हिदुस्तान....ये है हिदुस्तान....

भगत सिंह की ये धरा
है चन्द्र शेखर की जमीं,
सुखदेव,अशफाक ने अपनी
जान हसकर दी यहीं,
उन शहीदों पर रहेगा, उम्र भर हमको गुमान
ये है हिन्दुस्तान....ये है हिदुस्तान....







Monday, May 14, 2012

याद

याद

जब तेरी याद आती है
याद आता है
तेरा मुस्कुराना,
मंद मंद 
हँसना  
वो तेरा लजाना
और धीरे से तेरा
बल खाके गुजर जाना,
तेरी हर बात आँखों में घूम जाती है
जब तेरी याद आती है ......
याद आता है बहुत
वो तेरा मिलना,
मेरा हाथ थामे
तेरा साथ चलना,
वो तेरी चुनरी का लहराना
हवा से
बालों का बिखर जाना,
तेरे बदन की वो खुशबू
आज भी आ जाती है
जब तेरी याद आती है ....

Friday, May 11, 2012

पछतावा




इन हसीनाओ से बचके तू निकल,
इनसे कुछ नहीं तू पाएगा,
कर रहा है तो प्यार तो फिर सोच ले,
कल तू मेरी ही तरह पछताएगा I

क्योकि

मैंने माँगी  थी जो थोड़ी सी खुशी,
गम मेरे महबूब से इतना मिला,
मुद्दतों से सह रहा हूँ मैं जिसे,
दो घडी भी तू नहीं सह पायेगा I



                    

Monday, April 30, 2012

अभिलाषा


    अभिलाषा


       हर रिश्ते से पहले बेटा 
       मैं भारत माँ का कहलाऊँ,
       है अभिलाषा मेरी इतनी 
       माँ की सेवा कुछ कर जाऊँ 

       क्या जात धरम मालूम नहीं 
       किस प्रान्त का हूँ क्या बतलाऊँ,
       मैं भारत माँ का बेटा हूँ
       बस हिन्दुस्तानी कहलाऊँ 

       मैं स्वार्थ भुला दूं अपने सब 
       परमार्थ के पथ को अपनाऊँ,
       हित नहीं राष्ट्र से बढ़कर कुछ 
       कोशिश कर सबको समझाऊँ 

      भ्रष्ट नहीं है कोई भारत में 
       सदाचारी है सब कह पाऊँ 
       सोने की चिड़िया का वासी 
       जग में वापस मैं कहलाऊँ 

      गाँधी जी का अनुयायी बन
       उनके पथ पर चलता जाऊँ,
       कोशिश कर उनके सपनो को 
       साकार बना कर दिखलाऊँ 

      जो अमर शहीद हैं भारत के 
      उनको न भूल कभी पाऊँ 
      और रक्षा में भारत माँ की 
      मरना हो हँस कर मर जाऊँ 



Sunday, April 29, 2012

सुख दुःख

सुख दुःख

छत पर लेटे
अक्सर चंदा
देखता हूँ
मैं तुझे
घोर अंधकार से
तारों के साथ
जूझता पता हूँ
मैं तुझे
तेरा स्वरुप
हर रात
घटता हुआ
पाता हूँ मैं
और एक दिन
सिर्फ अंधकार से
तुझको घिरा
पाता हूँ मैं
तब आभास
होता है
चंदा तेरी
लाचारी का
लेकिन
धीरे-धीरे
नित्य
जब बढ़ता है
तेरा स्वरुप
तो वही अंधकार
मेरे छत के
कोने  में 
छिपकर बैठ जाता है
और ख़ुशी से
देखता
जाता हूँ
मैं तुझे I

Saturday, April 28, 2012

क्षणिकाएं

 
 
 
तेरी हर बात भुलाने जा रहा हूँ,
तेरी हर याद मिटाने जा रहा हूँ,
रह न जाये कोई बात मेरी यादों मैं
हर बात तेरी याद किये जा रहा हूँ.
 
 
 

Saturday, April 21, 2012

गज़ल - मूल मन्त्र


मूल मन्त्र

सबसे प्यारे प्यार किये जा
प्यार बाटकर यार जिए जा

हार मिली है तुझको जिनसे 
उनको कुछ उपहार दिए जा 

दुःख देते जो तुझको हर दिन 
सुख उनको हर बार दिए जा 

बीती बातें छोड़ के प्यारे 
कल पर कुछ विचार किये जा 

क्या होना है कल क्या जाने 
खुद को तू तैयार किये जा 

ना करना चाहे तू कुछ भी 
करने का इकरार किये जा 

करनी का फल पाना होगा 
लाख भले इनकार किये जा 









Wednesday, April 11, 2012

कविता - ठूंठ




ठूंठ 

मेरे प्यार के पौधे को 
बिना किसी लालच के 
प्यार की खाद,
संयम की धूप,
विश्वास के पानी से
मैंने बड़ा किया,
अचानक 
एक दिन के
मौसम परिवर्तन से,
मेरे प्यार का पौधा 
सूखकर ठूंठ हो गया,
आज जब कभी 
पड़ती है उसपर नजर 
एक दर्द सा दिल में उठता है,
आखिर 
पूरी जिन्दगी का 
सारा प्यार
मैंने उसे 
खाद के रूप में दिया 
इसलिए 
मैं उसे फैकूंगा नहीं,
दिल का दर्द मिटाने को 
एक दूसरा पौधा लाया हूँ मैं 
दुगने प्यार और विश्वास से 
उसे बड़ा कर रहा हूं,
मैंने इस पौधे को 
उस ठूंठ के आगे खड़ा किया है .
मेरा ये पौधा 
अब फल भी देने लगा है 
मगर अपनी आगोश में 
उस ठूंठ को 
पूरी तरह 
छिपा नहीं पाया है.....


Tuesday, April 10, 2012

गज़ल (5)






गज़ल (5)



गम जुदाई का तो हंसकर सह गए 
सामने आये तो आंसू बह गए 

राजेगम दिल में रखेंगे सोचा था 
अश्क आँखों के मगर सब कह गए 


 देखकर पहचानने की कोशिशें 
उनके दिल की बात हमसे कह गए 

मुद्दतों से इंतजार उनका किया 
क्यों किया खुद सोचते ही रह गए 

ख्वाब देखे थे बहुत तन्हाई में
मिट्टी के घर की तरह सब ढेह गए 


Monday, April 09, 2012

कविता - " मैं और मरू "







" मैं और मरू "

मन करता है
मेघ बनूँ
और
नभ में छाऊं,
मरू भूमी के
कृषकों को
मैं हर्षाऊँ,
अपने कालेपन को लाकर,
खेतोँ में उनको ले जाऊं
खेत जुताऊ
मन हर्षित कर दूं,
बीज लगाते
देखूं उनको
खुश हो जाऊं,
यथोवान्छित वृष्टि करके
बंजर को उपजाऊ कर दूं,
रेगिस्तान हटाने को,
हरयाली को लाने को
फिर मन करता है
मेघ बनूँ
और नभ में छाऊं
मरुप्रदेश में हरयाली हो
और मैं मिट जाऊं .....












Sunday, April 08, 2012

आरज़ू


आरज़ू


गर मिल सके तू मुझको,
बस एक बार मिलजा,
मैँ तुझे गले लगाकर,
सारे गिले मिटा लूँ  I

::::::::
गर ये तय है मिलोगे मुझे मरके,
तो क्यूँ न मर जाऊ में तेरा क़त्ल करके ///








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