welcome


विषय वास्तु

TAJA RACHNAYEN

Sunday, April 29, 2012

सुख दुःख

सुख दुःख

छत पर लेटे
अक्सर चंदा
देखता हूँ
मैं तुझे
घोर अंधकार से
तारों के साथ
जूझता पता हूँ
मैं तुझे
तेरा स्वरुप
हर रात
घटता हुआ
पाता हूँ मैं
और एक दिन
सिर्फ अंधकार से
तुझको घिरा
पाता हूँ मैं
तब आभास
होता है
चंदा तेरी
लाचारी का
लेकिन
धीरे-धीरे
नित्य
जब बढ़ता है
तेरा स्वरुप
तो वही अंधकार
मेरे छत के
कोने  में 
छिपकर बैठ जाता है
और ख़ुशी से
देखता
जाता हूँ
मैं तुझे I

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...