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विषय वास्तु

TAJA RACHNAYEN

Saturday, April 07, 2012

राज की बात

 

राज की बात





राम राज की आशा मे, बैठे है जो नादान है वो,
हालत का वतन का ज्ञान नहीं, अज्ञानी है, अंजान है वो I 

मुखिया को अपने दल के जो अब राम बताया करते है,
उस दल का चमचा अपने को, कहता है कि हनुमान है वो I 

क्या उलझन वो सुलझाएंगे इस देश में रहने वालों की,
गैरों से नहीं जो लगता है, खुद अपने से परेशान है वो I 

वो मालिक भी बन सकते है इतिहास बताता है हमको,
जो कहते थे कुछ दिन के लिए इस देश के मेहमान है वो I 

बिन बारिश के जब खेतो मे अंकुरित बीज नहीं होते,
वो मरुभूमि के खेत नहीं, लगता है के शमशान है वो I 







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