गम जुदाई का तो हंसकर सह गए
सामने आये तो आंसू बह गए
राजेगम दिल में रखेंगे सोचा था
अश्क आँखों के मगर सब कह गए
देखकर पहचानने की कोशिशें
उनके दिल की बात हमसे कह गए
मुद्दतों से इंतजार उनका किया
क्यों किया खुद सोचते ही रह गए
ख्वाब देखे थे बहुत तन्हाई में
मिट्टी के घर की तरह सब ढेह गए
बढ़िया गज़ल..........
ReplyDeleteLazawaab
ReplyDeleteहर्दिक आभार झा साहब .....
ReplyDelete