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वीरेश अरोड़ा "वीर"
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TAJA RACHNAYEN
Wednesday, April 04, 2012
एक प्रश्न
एक प्रश्न
आज उनका आना
और मुहं फेरकर चला जाना,
याद दिलाता है
वो दिन,
जो गुजरते न थे
मिले बिन,
दीवानों की तरह
जो मिलते थे कभी,
क्यों गुजर गए
वो बनकर अजनबी ?
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